Wednesday, August 29, 2018

中国欲达减排目标仍需大力减煤

若不叫停新建燃煤电厂和煤制气项目,中国将无法兑现在2030年前确保温室气体排放达到峰值的承诺。
 
目前,各国代表正在准备参加下周在秘鲁首都利马举行的联合国气候谈判。作为世界最大的排放国,中国是否有能力停止并逆转煤炭用量的上升势头,成为关注的一大焦点。
 
在为期两周的谈判中,各国将仔细审视彼此的承诺,并将本国行动和目标的具体细节上呈联合国。这项工作要在2015年3月底之前完成,并为明年12月份的巴黎峰会做准备。

世界各国首脑将在巴黎大会上汇聚一堂,达成一项涵盖包括中国在内的所有主要排放国的全球气候协议。因此,巴黎大会必须避免像2009年哥本哈根峰会那样最终演变为一场围绕谁应该承担大部分减排责任的推诿大会。

11月中旬,中美联合声明中中国承诺到2020年将煤炭消费总量控制在42亿吨左右。分析人士认为,由于经济增速放缓、钢铁水泥等产能过剩行业的停工停产、抗雾霾措施,再加上可再生能源在新增发电能力中不断上升的比重,这一目标是可以实现的。

根据官方数据,中国2013年的煤炭消费总量为36亿吨。但一些观察人士认为,不断增长的电力需求意味着,如果不能采取强有力的行动减少煤炭在能源结构中比重,2020年达到煤炭消费上限的目标就很难实现。
 
美国环境信息机构的煤炭行业分析师阿亚卡·琼斯说:“ 年的煤炭上限目标非常宏大,需要强大的政策和监管加以支持与强化,但这并非无法办到。而且,还有一点重要的是,到2020年达到上限并不意味着‘峰值’,2020年以后会发生什么才真的令人关注。”

为了实现2020年的煤炭上限目标,以及兑现随之做出2030年后减少温室气体排放的承诺,中国各地方决策部门很有可能需要遏制未来的煤炭需求。直到目前,他们一直都在鼓励煤电的发展,以此来促进经济增长、保障就业。
 
煤炭发电向西部转移
 
中国面临的主要挑战之一就是减缓北部和西部各产煤大省新建“矿口”燃煤电厂的增速。在这些煤炭储量丰富但经济贫困的地区,电厂越修越多,一是为了给从东部迁移而来的产业供电,二是通过超效输电线路向沿海各大城市远距离供电。
 
同时,中国的能源企业也在计划建设巨大的煤制气工厂,但这项工艺的碳强度很高,将来也可能会因为给本就紧张的供水造成影响而被禁止。

对内蒙古和山西等省份来说,矿产开采行业是解决就业问题的重要部门,因此备受政府部门的庇护。但是,这些省份的决策者们也必须决定采取哪些必要措施,来满足中央政府(关于减排)的愿望。

很多新建燃煤电厂都将建在产煤大省。这些省份中绝大多数既没有开展排放交易试点,也没有制定地方排放上限。

查塔姆研究所中国能源问题专家米歇尔·梅丹说:“有很多问题还悬而未决(似乎也还在争论之中),包括:消费者要为此支付多少?产业合并对那些本就饱受经济放缓之累的省份会产生哪些影响?定价和补贴机制的发展速度能否跟上这一结构性变化?”

她还说:“中央政府的命令非常清楚,就看各省和产业如何来领会了。”
增长曲线

另一个主要问题是:限制燃煤发电需求增长的势头是否足够强大,从而保证2020年的煤炭消费总量控制在大体相同的时间转化为峰值。

一些专家指出,中国经济增长势头的好转和电力需求的增长,意味着新建燃煤电厂使用率的提高。这会造成二十一世纪二十年代煤炭需求的加速增长,阻碍中国二氧化碳排放上限的实现,而这些排放大部分都与燃煤有关。

《21世纪经济报道》引用厦门大学中国能源经济研究中心林伯强主任的话说:“今年的经济增长很缓慢,这是一个特例,很多企业都拥有大量的煤炭存量。等到这些存量消化完毕后,对煤炭的需求可能会再次增长。”

最近美国花旗银行的一份报告称,中国今年的经济增速放缓大于预期。只有长期维持这一态势,再加上高污染能源密集型产业的转型,才有可能在2030年前达到排放峰值。

花旗的分析师托尼·袁在报告中说:“如果中国的年经济增长率仍然维持在8%左右,虽然看上去只是比目前6-7%的增长率高了一点点,但要在2030年前达到排放峰值就非常困难而且成本高昂了。”

中国的煤炭消费要在2020年前后达到峰值,那么,大部分新增能源必须是可再生能源、核能或天然气,而且能够迅速实现并网。一些观察人士指出,这个趋势已经初现端倪,2013年中国新增水电、风电和太阳能装机容量首次超过热电。

中国中央政府已经做出要求,零二氧化碳排放发电在中国总发电量中的比例要从目前的22%增加到35%。绿色和平组织的能源分析师劳瑞·迈利维尔塔指出,这一目标对于实现中国的煤炭消费上限将大有帮助。
 
他说:“换句话说,从现在到2020年(至多到2030年),每个月新增的清洁能源容量大约相当于新建三个大型燃煤电厂。只要有恰当的政策,包括可再生能源发电企业的全面并网,我们相信这个目标是可以实现的。”

Monday, August 13, 2018

रेल राज्य मंत्री राजेन गोहाईं पर बलात्कार का मामला दर्ज

नरेंद्र मोदी सरकार में रेल राज्य मंत्री राजेन गोहाईं पर एक महिला ने रेलवे विभाग में नौकरी दिलाने के बहाने बलात्कार करने और धमकी देने के आरोप लगाए हैं. महिला ने मंत्री गोंहाई के ख़िलाफ़ असम के नगांव थाने में एक एफ़आईआर दर्ज करवाई है.
नगांव ज़िले के पुलिस अधीक्षक शंकर रायमेधी ने मीडिया को बताया, "एक महिला ने केंद्रीय रेल राज्य मंत्री के ख़िलाफ़ यौन शोषण करने की शिकायत दर्ज की है. हमने एक मामला दर्ज किया है. शिकायतकर्ता ने खुद और उसकी बहन का नाम एफ़आईआर में पीड़िता के रूप में उल्लेख किया है."
पुलिस ने केंद्रीय मंत्री के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 417 (धोखाधड़ी), 376 (बलात्कार) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत एक मामला (संख्या 2592/18) दर्ज किया हैं. जानकारी के अनुसार एफआईआर बीते 1 अगस्त को दर्ज कराई गई थी लेकिन यह मामला 10 अगस्त को सामने आया.
शिकायत करने वाली महिला ने मीडियाकर्मियों के समक्ष दावा किया है कि उनके पास मंत्री की एक ऐसी ऑडियो रिकार्डिंग भी है जिसमें मंत्री उनके साथ बहुत बुरी तरह से बर्ताव करते सुने जा सकते है.
पुलिस के एक अन्य शीर्ष अधिकारी ने बताया कि मंत्री के बेटे की तरफ़ से भी महिला और उसके परिवार के ख़िलाफ़ ब्लैकमेलिंग करने की शिकायत दर्ज कराई गई है. ऐसी चर्चा भी सामने आ रही है कि कथित पीड़ित महिला पर मामला वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा हैं.पुलिस के अनुसार एफआईआर में पीड़िताओं ने आरोप लगाया है कि केंद्रीय मंत्री गोंहाई नौकरी दिलवाने के नाम पर करीब सात-आठ महीने से उनका यौन शोषण कर रहे थे, लेकिन बाद में मंत्री ने फ़ोन कॉल का जवाब देना बंद कर दिया और नंगाव स्थित अपने निवास पर इन महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगा दी.
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता राजेन गोंहाई साल 1999 से नगांव लोकसभा सीट से सांसद है.
नई दिल्ली में मौजूद मंत्री ने बलात्कार के इन आरोपों का जबाव देते हुए शनिवार को एक बयान में कहा है कि ये तमाम आरोप उनके ख़िलाफ़ एक राजनीतिक साजिश है.
उन्होंने कहा, "मामले की जांच चल रही है. ईश्वर मेरे साथ है. वो देख रहा है. समय के साथ, सच्चाई सामने आ जाएगी. यह साबित हो जाएगा कि कौन सही है और कौन ग़लत है. मुखौटा उन लोगों के चेहरों से भी उतर जाएगा जो मेरे ख़िलाफ़ इस राजनीतिक साजिश में शामिल हैं."
असम प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अपूर्व भट्टाचार्य ने कहा, "हम मामले की निष्पक्ष जांच के लिए केंद्र सरकार से संबंधित मंत्री को तत्काल हटाने की मांग करते हैं. पीड़िता को न्याय दिलाना होगा और अगर राजेन गोंहाई मंत्री बने रहे तो वे अपने रुतबे से जांच को प्रभावित कर सकते हैं."