Friday, November 22, 2019

फिलीपींस की बत्ती गुल कर सकता है चीन

कोई देश अपने यहां तो बिजली काट सकता है लेकिन, क्या उसके पास किसी दूसरे देश की पूरी बिजली काटने का अधिकार है.
फिलीपींस की संसद में बताया गया है कि चीन अगर चाहे तो पूरे फिलीपींस की बिजली काट सकता है.
संसदीय सत्र के दौरान फिलीपींस के नेशनल ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ने ऐसा होने की संभावना की पुष्टि की है.
ये बात तब सामने आई जब संसद में एक सीनेटर ने पूछा कि क्या चीन की वर्चस्वादी महत्वकांक्षाएं फिलिपींस के लिए ख़तरा पैदा कर सकती हैं.
तब जवाब में पता चला कि चीन के लिए फिलीपींस में बिजली की आपूर्ति रोकना संभव है.
सीनेटर रिचर्ड गार्डन ने बताया, "हमने अपनी ग्रिड का 40 प्रतिशत हिस्सा एक विदेशी कॉरपोरेशन (चीन की कंपनी) को दिया है जिससे पश्चिमी फिलीपींस सागर में हमारे देश के साथ हितों का टकराव हो सकता है और उस देश की वर्चस्वादी महत्वकांक्षाएं हैं."
चीन की स्टेट ग्रिड कॉरपोरेशन की नेशनल ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ द फिलीपींस (एनजीसीपी) में 40 प्रतिशत की हिस्सेदारी है.
एनजीसीपी फिलीपींस में बिजली की आपूर्ति को नियंत्रित करती है. यही उत्तरी सिरे पर लुज़ान द्वीप से दक्षिण में मिंडनाओ द्वीप तक बिजली पहुंचाती है.
गेटचालियान ने बताया कि एनजीसीपी का जब निजीकरण किया गया तब कई सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे.
कुछ ख़ास स्थितियों में राष्ट्रपति को नियंत्रण लेने का अधिकार है और उसके बाद बिजली 24 से 48 घंटों में वापस आ सकती है.
इनमें युद्ध, विद्रोह, सार्वजनिक संकट और आपदा की स्थितियां शामिल हैं.
सीनेटर रीसा ऑन्तिवेरस ने उन रिपोर्ट्स के बारे में भी पूछा जिनके मुताबिक सिर्फ़ विदेशी इंजीनियर्स ही बिजली आपूर्ति में आई ख़राबी को ठीक कर सकते हैं क्योंकि
हाल के सालों में चीन ने बड़ी तेजी से दुनिया के कई हिस्सों में विदेशी निवेश किया है.
इस निवेश के तहत चीन ने निजी कंपनियां, संपत्ति, इमारतें और बड़ी आधारभूत परियोजनाएं जैसे बंदरगाह और पुल खरीदें हैं. साथ ही चीन ने ऊर्जा क्षेत्र में भी काफ़ी निवेश किया है.
रीसा ऑन्तिवेरस ने सत्र के दौरान कहा कि चीन की एनएआरआई ग्रुप कॉरपोरेशन कीनिया, इंडोनेशिया और थाईलैंड में पावर ग्रिड के लिए रिमोट कंट्रोल सिस्टम प्रदान करती है.
उन्होंने कहा, ''तो उन देशों के अनुभव से हम आश्वासन या सावधानी की सीख ले सकते हैं.''
एजीपीसी का पावर ट्रांसमिशन नेटवर्क चीन में है.
साथ ही उन्होंने नियमावली (मैनुअल्स) चीन की भाषा में होने की बात भी उठाई.
सीनेटर गेटचालियान ने जवाब में कहा कि बिजली के ट्रांसमिशन पर फिलीपींस के लोगों का ही नियंत्रण है और नियमावली का अंग्रेज़ी में अनुवाद किया जा चुका है.
ऐसे में चीन का एनजीसीपी की कार्य प्रणाली में दख़ल है और वो इसे प्रभावित भी कर सकता है.
सीनेटर रीसा ऑन्तिवेरस ने मंगलवार को सदन में पूछा था कि एनजीसीपी का नियंत्रण चीन को देने से 'क्या ये संभव है कि हमारा पावर ग्रिड कभी भी बंद किया जा सकता है.'
इसके जवाब में ऊर्जा पर सीनेट कमेटी के अध्यक्ष शेरविन गेटचालियान ने बताया, "दूरसंचार और सॉफ्टवेयर में तकनीकी प्रगति को देखते हुए ये संभव है."
शेरविन गेटचालियान ने इसके लिए ट्रांसको के अध्यक्ष मेलविन मेतिबैग की सलाह का संदर्भ दिया. ट्रांसको का ग्रिड पर मालिकाना हक है.
हालांकि, सीनेट ये भी बताया कि बिजली तो काटी जा सकती है लेकिन फिलीपींस उसे 24 से 48 घंटों में फिर से चालू कर सकता है.
साल 2009 से फिलीपींस के नेशनल ग्रिड में चीन की हिस्सेदारी है.
फिलिपींस और चीन के बीच दक्षिण चीन सागर को लेकर लंबे समय से विवाद भी रहा है.

Tuesday, September 17, 2019

वो ड्रिंक जिसे पीते ही मुंह और जीभ हो जाती है 'सुन्न'

वानुआतु की राजधानी पोर्ट विला में मिलने वाली कावा ड्रिंक लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है. जहां एक ओर लोग इससे सेहत पर पड़ने वाले असर को लेकर चिंता कर रहें हैं, वहीं कहा जा रहा है कि इसके बहुत से आर्थिक मायने भी हो सकते हैं.
वानुआतु की राजधानी पोर्ट विला में यह एक नम दोपहरी का समय है. वानुआतु प्रशांत महासागर के सैकड़ों मील में बिखरा हुआ एक द्वीप राष्ट्र है.
पोर्ट विला के एक बार में नी-वानुआतु समूह की एक महिला एक छोटे से प्लास्टिक के बाउल में मटमैले रंग का एक पेय पदार्थ (ड्रिंक) निकालती है. इस ड्रिंक को कावा कहते हैं. इसे कावा नाम के एक पौधे की जड़ को पीसकर पानी के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है.
कावा के बारे में दुनियाभर में जाने-माने विशेषज्ञ डॉ. विंसेंट लेबॉट ने कहा, 'आपको इसे एक ही बार में पूरा पीना होगा. इसे पीते ही आपका मुंह और ज़बान सुन्न से होने लगेंगे.' जब उनसे पूछा गया कि उसके बाद क्या होगा तो वे हंसकर बोले, 'ज़्यादा कुछ नहीं.'
डॉ. विंसेंट मूल रूप से फ्रांस के रहने वाले हैं लेकिन अब दशकों से वह वानुआतु में रहते हैं.
दिलचस्प है कि बार के सामने वाले गेट के ठीक ऊपर एक लाइट लगी हुई है और अगर लाइट जल रही है तो इसका मतलब है कि बार में कावा है और जब दिनभर का सीमित स्टॉक ख़त्म हो जाता है, तो यह लाइट बंद हो जाती है.
इस बार को लास्ट फ्लाइट भी कहा जाता है. यह देश के मुख्य हवाई अड्डे के ठीक पीछे बना हुआ है. यह बार कामकाजी लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है क्योंकि इसमें किसी बहुत ही शांत बियर गार्डेन जैसा वातावरण रहता है.
इस बार में कोई और शराब नहीं मिलती है सिर्फ़ और सिर्फ़ कावा ही मिलता है. इसे पीनेवाले या इसका समर्थन करने वालों का कहना है कि इसे पीने से बैचैनी कम होती है और ये नींद न आने की परेशानी में भी मदद करती है. यह भी कहा जाता है कि इसे पीने से हल्के से उत्साह का अनुभव भी किया जा सकता है. वहीं इसके आलोचकों का कहना है कि यह बेहद ख़तरनाक है और यूरोपीय संघ में प्रतिबंधित भी है.
डॉ. लेबॉट बताते हैं, "कावा पूरे पैसिफिक में बहुत ही लोकप्रिय है और साथ ही इसे पवित्र भी माना गया है. पारंपरिक रूप से वानुआतु में चीफ या प्रमुख स्थानीय मामलों की चर्चा करते हुए इसे पीया करते थे. इसे नारियल के खोल में पिए जाने की परंपरा थी."
वो बताते हैं, "चीफ़ इसे पीते थे ताकि वो अपने पूर्वजों के साथ बातचीत कर सकें."
लेकिन हाल ही में इसका इस्तेमाल काफ़ी बढ़ गया है. वानुआतु में अब ज़्यादातर परिवार भी कावा से परिचित हैं और इसे अपने घरों के बाहर उगाते भी हैं. हालांकि कभी महिलाओं के लिए इसे पीना मना था लेकिन आज के समय में राजधानी पोर्ट विला में यह बहुत आम हो गयी है. हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ महिलाएं अभी भी इससे परहेज़ करती हैं.
डॉ. लेबॉट उम्मीद कर रहे हैं कि यह ड्रिंक दुनियाभर में लोकप्रिय हो सकती है और वानूआतू को आर्थिक रूप में भी मदद कर सकती है.
कावा के निर्यात की पहले की भी कोशिश की गई है लेकिन यह योजना के अनुसार नहीं हो सकी. डॉ. लेबॉट बताते हैं कि कावा को अब यूरोपीय संघ में प्रतिबंधित कर दिया गया है. कुछ समय तक सप्लीमेंट के रूप में लोकप्रिय होने के बाद उसे असुरक्षित करार दिया गया.
डॉ. लेबोट जोर देकर कहते हैं कि अगर इसे ठीक से तैयार किया जाता है यानी जब सूखी जड़ को एक पेस्ट में बदलकर पानी के साथ मिलाया जाता है तो यह पूरी तरह से सुरक्षित होता है.
वानुआतु में कावा उद्योग को पेशेवर बनाने में एक बड़ी समस्या जो सामने आ रही है वो यह है कि इसकी खेती एड-हॉक आधार पर की जाती है.
एक कावा प्रशंसक, डैन मैकग्रेरी जोकि एक कैनेडियन है और स्थानीय समाचार पत्र चलाते हैं उन्होंने बताया, "पेंटेकोस्ट द्वीप, जहां बहुत अधिक सप्लाई होती है, वहां लोगों के पास खेती के लिए अधिक साधन नहीं हैं."
उनका कहना है कि पड़ोसी फिजी में हाल ही में एक चक्रवात के बाद वानुआतु में भी सप्लाई की मांग और कावा की कीमतें बढ़ गई हैं.
उनका कहना है, "कावा की लोकप्रियता ने यहां की ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर काफी प्रभाव डाला है."
लेकिन मैकग्रेरी यह भी बताते हैं कि इससे बड़े उत्पादकों ने कीमत को नियंत्रित करने की कोशिश की है.
वानुआतु के एक सामुदायिक नेता ऐनु पकोआ भी इसके बारे में चिंता जताते हुए कहते हैं, "कहीं-कहीं स्थिति इतनी ख़राब हो गयी है कि कावा परिवारों को खत्म कर रहा है. महिलाएं भी इसे बहुत अधिक पी रही हैं और कुछ कावा बार वेश्यावृत्ति के केन्द्र बन गए हैं. इसका ज़्यादा सेवन सुस्ती और शुष्क त्वचा का कारण भी बनता है और जब लोग इसे बहुत अधिक पीते हैं तो वे अपने अंगों के उपयोग की क्षमता को खो सकते हैं.
पकोआ कहती हैं कि ऐसे भी उदाहरण हैं जहां परिवारों ने बच्चों को कावा पीने के लिए लावारिस छोड़ दिया है. पकोआ कहती हैं, "बढ़ते प्रयोग के चलते कावा अब समस्याओं का कारण बन रहा है. "
कावा पर आयात प्रतिबंधों को ढीला करने के ऑस्ट्रेलियाई सरकार के हालिया कदमों के साथ कई वानुआतु फार्म ने उत्पादन को बढ़ाना शुरू कर दिया है.
निकोल परालियु हमें उस फार्म को दिखाती है जिसका वह प्रबंधन खुद करती है. ज़मीन का एक ऐसा हिस्सा जो चारों ओर से घने जगलों से घिरा हुआ है. इस फार्म में मुख्य रूप से चंदन का उत्पादन किया जाता था लेकिन हाल ही में कावा की फसल ही उगाना शुरू कर दिया है. परालियु कहती हैं कि इस तरह के फार्म से स्थानीय आबादी के लिए आय प्रदान करने की क्षमता है.
वह कहती हैं "लोग विदेशों में काम की तलाश में जाने के बजाय इन्हीं द्वीपों पर रह सकते हैं."
जब उनसे पूछा गया है कि क्या उन्होंने कभी कावा पीने की कोशिश की है? तो उन्होंने हंसते हुए जवाब दिया, "नहीं, एक बार भी नहीं".

Friday, August 23, 2019

تعد العاصمة الإندونيسية التي يسكنها نحو 10 ملايين نسمة واحدة

Friday, July 5, 2019

Budget 2019: मध्यम वर्ग को राहत नहीं, अमीरों पर और अधिक टैक्स

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को लोकसभा में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश किया. इस बजट की सबसे ख़ास बात यह रही कि आमतौर पर वित्त मंत्री हमेशा ब्रीफ़केस में वित्त मंत्रालय से बजट लेकर चलते थे, लेकिन इस बार लाल कपड़े में लपेटकर बजट लाया गया.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाक़ात की इसके बाद केंद्रीय कैबिनेट ने बजट पास किया.
दिन में 11 बजे लोकसभा में वित्त मंत्री ने बजट पढ़ना शुरू किया और यह बजट तक़रीबन 2 घंटे 10 मिनट का था. इस बजट की सबसे ख़ास बात यह था कि वित्त मंत्री ने इस बार किस मद में कितना पैसा ख़र्च किया जाएगा इसका कोई ज़िक्र नहीं किया.
उन्होंने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल की योजनाओं की तारीफ़ करते हुए भविष्य में क्या योजनाएं हैं इसका एक ख़ाका खींचा.
तमिल युक्तियों समेत उन्होंने चाणक्य नीति का ज़िक्र भी किया और मंज़ूर हाशमी का शेर भी पढ़ा.
2019-20 के आम बजट में मध्यम आय वर्ग वाले लोगों को ज़्यादा राहत मिलती नहीं दिखी. अंतरिम बजट में पांच लाख रुपये तक की आय वालों को टैक्स छूट को इस बार भी बरकरार रखा गया है.
हालांकि, दो से पांच करोड़ रुपये की आय वाले लोगों पर तीन फ़ीसदी अतिरिक्त कर लगाया है जबकि पांच करोड़ रुपये से अधिक आय वालों पर सात फ़ीसदी अतिरिक्त कर लगाया गया है.
इसके साथ ही अब तक 250 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाली कंपनियों पर 25 फ़ीसदी कॉर्पोरेट टैक्स लगता था जिसे बढ़ाकर 400 करोड़ रुपये कर दिया गया है.
इसके अलावा एक साल में बैंक खाते से एक करोड़ से अधिक रुपये निकालने पर दो फ़ीसदी टीडीएस लगेगा.
साथ ही अब आप आयकर रिटर्न पैन कार्ड के साथ-साथ आधार कार्ड से भी भर सकेंगे. वित्त मंत्री ने एनआरआई लोगों के लिए भारत आने पर आधार कार्ड देने की बात कही है. अब तक उनका भारत में 180 दिन भारत रहना ज़रूरी था.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट में विभिन्न क्षेत्रों के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई) बढ़ाने की बात कही है.
उन्होंने कहा कि उड्डयन, इंश्योरेंस, मीडिया और एनिमेशन सेक्टर में 100 फ़ीसदी एफ़डीआई करने का प्रस्ताव है.
सरकार ने एक लाख 25 हज़ार किलोमीटर सड़क के विस्तार की बात भी कही है जिसके तहत अगले पांच सालों में 11.6 अरब डॉलर रुपये ख़र्च होंगे.
वित्त मंत्री ने पेट्रोल और डीज़ल पर प्रति लीटर एक रुपये एक्साइज़ ड्यूटी बढ़ाने का ऐलान किया है.

Tuesday, July 2, 2019

印度尝试将海洋塑料用于修路

印度奎隆萨提库兰迦拉港的凌晨一片繁忙景象,与喀拉拉邦沿海其他地方毫无二致。成千上万吨的鱼从无数条渔船上被卸下、分拣、清洗、拍卖。但这里也有一件新鲜事,每艘船上除了鱼也卸下船员用渔网打捞到的废弃塑料,这些塑料将与沥青混在一起用来修路
喀拉拉邦全体渔船经营者协会会长彼得·马迪亚斯说,渔民们承诺将作业中产生的废物以及渔网捞到的一切都带回来。
然后这些废弃塑料由“清净大海”(喀拉拉邦政府2017年发起的一项倡议)收集并送到一座特别设施进行清理和粉碎。“清净使命”
截至2月下旬,已经有16吨塑料被粉碎,145公斤塑料瓶被压制成捆。尽管这一计划进展顺利,但未来却存在很大变数,主要是因为缺少资金以及市场机会有限。
越来越多的道路工程承包商不愿使用废弃材料,理由是熔化以及和筑路材料混合时的技术困难,该计划的协调员苏哈卡兰介绍说。“我们必须考虑通过其他方式对粉碎的塑料进行再利用。”南印度城市金奈进行了一系列试点项目之后,印度的很多城市和乡村都开始用回收的废塑料来修路。这需要将沥青与约8%的废塑料混合。
“清洁喀拉拉”(CKS)公司负责筑路用粉碎塑料的收集和配送。迄今该邦已经用15吨塑料颗粒修了约9公里的路,大多是村子里较短的岔路。平均每公里需要1.7吨废塑料。
支持者们称用废塑料修的路对灼热的耐受性更强,但环境保护者们则对这种用途提出质疑。他们指出,塑料熔化时会释放毒性很强的戴奥辛,土壤(尤其是工程质量很差的道路)中微塑料的浸出和生物累积风险也很高。
全球反垃圾焚烧联盟的达米什·沙说:“在这方面的研究还很欠缺,因此在大规模采用此类技术之前保持谨慎才明智。”
用塑料修路可能也不经济。“印度道路大会”(IRC)的指南
非政府组织塔纳尔(Thanar)的希布·奈尔在差不多20年前就在喀拉拉邦带头发起了零废物运动。他说:“塑料修路不是解决之道,你只是把废塑料隐藏起来了一段时间,却把全部道路都变成了毒地。”
他说,无论是港口工程部还是渔业部都没有一个针对环境管理和保护的明确制度机制。“这正是为什么说该计划是权宜之计的原因,我们不能把那些渔民和妇女交给市场。”
彼得·马迪亚斯说:“如果塑料修路未来会成为环境问题,那我们必须找到另一个解决办法。我们的渔民正在承担清理作业,我们亟需新鲜点子和资金注入让这个计划焕然一新。”
如果不能给打捞上来的废塑料找到资金和新市场,奎隆这个先锋计划的命运以及向其他港口推广的目标都将变得岌岌可危。据喀拉拉“清净使命”项目估计,该邦每天产生的废弃塑料有480吨。其中一些进入河流和其他水体,最终流入大海。
联合国环境规划署的一项研究发现,2014年全球生产出3.11亿吨塑料,并估计2010年有480万到1270万吨塑料进入海洋。阳光将这些塑料分解成大家所知的微塑料,会被水生生物和海鸟误食。摄入这些塑料会损伤它们的内脏。受到海洋塑料垃圾影响的鸟类、海龟、鱼类和其他物种不计其数。
希布·奈尔说:“即便全球所有的禁塑令都落实到位,我们也有千百万吨的历史遗留废物需要安全、永久地处理掉。不幸的是,目前所有的实践,包括管理不力的填埋、垃圾焚烧发电、再生塑料颗粒、塑料修路等都失败了,而且造成的损害比助益更大。”
为了永远终止塑料污染的循环,回收业正在做着各种努力:海洋塑料垃圾的升级回收,微塑料的预防和拦截,用新模式消除对特定种类塑料制品的需求(例如将玉米淀粉和麻类作为包装材料)。
“清净大海”在奎隆港口的一位工作人员希尼·S说:“我们希望下一代能彻底禁绝塑料,并找到一个新的替代物。而现在,我们请求人们不要再这么肆无忌惮地使用和丢弃塑料。”
中只推荐将低密度聚乙烯(LDPE)、高密度聚乙烯(HDPE)、PET和聚氨酯用于道路建设,然而将这些塑料从几种聚合物的混合中分离出来却成本高昂。
奎隆地方政府港口工程部的助理工程师阿比拉什·皮莱说:“我们必须清理海洋,必须找到解决垃圾的办法。截至目前用塑料修路是唯一可用的选择。无论海里还是陆上都有不计其数的废弃塑料。我们面临的任务艰巨,事态紧急。是喀拉拉邦的废物管理旗舰计划,半年来一直为这个海洋垃圾清洁回收项目提供垃圾粉碎机及运行成本的财力支持。

Tuesday, June 25, 2019

चर्चा में रहे लोगों से बातचीत पर आधारित साप्ताहिक कार्यक्रम

रस्गोत्रा बताते हैं, 'मेरा इरादा तो ख़्रुश्चेव के यहाँ जाने का नहीं था. लेकिन नेहरू बहुत प्यारे शख़्स थे. नौजवान लोगों को हमेशा आगे आने का मौका देते थे. मुझसे बोले तुम भी चलो और हाथ पकड़ कर मुझे अपनी कार में बैठा दिया. वहाँ एक कमरे में एक मेज़ पर खाने का बहुत सा सामान रखा हुआ था. दूसरी मेज़ पर वोडका, वाइन्स और शराब की कुछ बोतलें रखी हुई थीं.'
'ख़्रुश्चेव साहब ने वोडका के तीन गिलास भरने शुरू किए. गिलास छोटे थे, क्योंकि वो लोग तो 'नीट' पीते हैं. उन्होंने पहला गिलास तो पंडितजी को दिया और दूसरा मुझे पकड़ाया. मैं थोड़ा झिझका. लेकिन जवाहरलालजी ने खुद मुझसे कहा कि 'देखो अगर पीते हो तो ले लो.' मैं पीता था, इसलिए मैंने ले लिया.'
'पंडितजी ने उसे धीरे-धीरे 'सिप' करना शुरू किया. उनकी देखादेखी मैंने भी धीरे- धीरे पीना शुरू किया. ख़्रुश्चेव ने मेरी तरफ़ देखा और पंडितजी को संबोधित करते हुए कहा कि मैं अगर एक मास्को में एक नौजवान को ये गिलास भर कर दूँ तो वो इंतेज़ार नहीं करेगा कि मैं भी अपना गिलास भी भर लूँ. वो उसको तुरंत पी जाएगा. फिर उन्होंने मेरी तरफ़ देख कर कहा, 'अरे भाई खाली करो इस गिलास को फ़ौरन.' जैसे ही मैंने अपना गिलास ख़त्म किया, उन्होंने मेरा दूसरा गिलास भर दिया.'
'मैंने सोचा कि अब यहाँ से निकलना चाहिये. मैंने घड़ी-वड़ी देखी. इस बीच उनकी बातचीत का एक घंटा हो चुका था. मैं अपना दिल थामे हुए सोच रहा था कि पंडितजी क्या कहेंगे ? उन्होंने बहुत प्यार से मुझसे पूछा, 'भाई तुम ठीक हो न? फिर उन्होंने मुझे टेस्ट भी किया कि मैं ठीक हूँ. उसमें मैं पास भी हो गया.''
रस्गोत्रा ने अपनी आत्मकथा 'अ लाइफ़ इन डिप्लोमेसी' में एक बड़ा ख़ुलासा भी किया है कि 1962 में भारत चीन युद्ध के बाद जब अमरीका की 'इंटेलिजेंस' को ये पता चला कि चीन परमाणु परीक्षण करने वाला है तो कैनेडी ने नेहरू को अपने हाथ से पत्र लिखा कि अमरीका चीन से पहले भारत को परमाणु परीक्षण में मदद देने के लिए तैयार है.'
'लेकिन नेहरू ने इस पेशकश को स्वीकार नहीं किया. रस्गोत्रा याद करते हैं, 'कैनेडी का तर्क ये था कि अगर एशिया में कोई परमाणु बम परीक्षण करने वाला देश होगा तो वो भारत जैसा प्रजातांत्रिक देश होना चाहिए. उनको भनक लगी थी कि चीन ऐसा करने जा रहा है. वो चाहते थे कि चीन के ऐसा करने से पहले भारत सारी दुनिया को दिखा दे कि वो भी परमाणु बम संपन्न देश है.'
'उन्होंने प्रस्ताव किया कि वो भारत को एक परमाणु बम दे देंगे और वो चीन से पहले राजस्थान के किसी इलाके में उसका विस्फोट कर देगा. उसके बाद अगर चीन परमाणु विस्फोट करे भी तो उसका कोई ख़ास असर नहीं पड़ेगा.'
'पंडितजी की प्रतिक्रिया सकारात्मक थी. उन्होंने भाभा को बुलवाया मुंबई से. उसी दिन जी पार्थसार्थी चीन से वापस लौटे थे. पार्थसार्थी ने कहा कि ये हमारी विदेश नीति के ख़िलाफ़ है. विदेश नीति में अक्सर ये होता है कि मुद्दे जो होते हैं और किसी समस्या को हल करने का जो तरीका होता है, नेतृत्व उसका आदी हो जाता हैं. उस आदत से बाहर निकलना बहुत मुश्किल होता है.'
'उनका कहना था कि हम तो परमाणु बम के हमेशा ख़िलाफ़ रहे हैं और अहिंसक विदेश नीति में यकीन करते हैं. फिर अगर रूसियों को इसका पता चल गया तो वो बुरा मान जाएंगे. अगर वो हमने मान लिया होता तो न तो पाकिस्तान 1965 में भारत पर हमला करता और न ही 1971 का युद्ध होता.'
1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध से पहले जब इंदिरा गाँधी अमरीका पहुंची तो राष्ट्रपति निक्सन ने बदसलूकी का सबसे बड़ा उदाहरण पेश करते हुए इंदिरा गाँधी को बैठक से पहले 45 मिनट तक इंतेज़ार करवाया.
मैंने एम के रस्गोत्रा से पूछा, 'आप वहाँ थे, क्या वास्तव में ऐसा हुआ था?' रस्गोत्रा का जवाब था, 'बिल्कुल हुआ था. मेरा ख़्याल है निक्सन के अलावा कोई राष्ट्रपति ऐसा नहीं कर सकता था. हम लोगों की मुलाकात 'फ़िक्स थी.' हम लोग वहाँ बैठे हुए थे. लेकिन वो कमरे से बाहर ही नहीं निकले. तुर्रा ये कि वो अंदर कुछ कर भी नहीं रहे थे निक्सन और किसिंजर.'
'उनका मक़सद था कि इस महिला को उसकी जगह दिखाई जाए. वो इंदिरा गाँधी की बेइज़्ज़ती करना चाहते थे. बातचीत शुरू से ही कोई अच्छी नहीं चल रही थी. उनके बीच पहली मुलाकात जो हुई वाइट हाउज़ के लॉन में, उसमें निक्सन ने बिहार में हुए सूखे का तो ज़िक्र किया और ये भी कहा कि उसके लिए हम मदद देंगे. लेकिन भारत में उस समय जो 1 करोड़ बंगाली शर्णार्थी आए हुए थे जो हमारे ऊपर बोझ बन गए थे और शिविरों में भूखे मर रहे थे, निक्सन ने उनके बारे में एक शब्द भी नहीं कहा. उनको शायद कुछ शक था कि हम जंग का ऐलान करने आए हैं. उन्होंने जानबूझ कर इंदिरा गाँधी के साथ बदसलूकी की.'
मैंने रस्गोत्रा से पूछा कि जब बाद में निक्सन और इंदिरा मिले तो इंदिरा ने इसको किस तरह से लिया?
रस्गोत्रा ने बताया, 'उन्होंने इसको नज़रअंदाज़ किया. वो बहुत गरिमापूर्ण महिला थीं. उन्हें निक्सन से जो कहना था, वो कह दिया. उसका लब्बोलबाब ये था कि पूर्वी पाकिस्तान में जो क़त्लेआम चल रहा है, उसे आप बंद कराइए और जो शरणार्थी हमारे देश में आ गए हैं, वो वापस पाकिस्तान जाएंगे. हमारे मुल्क में उनके लिए जगह नहीं है.'
80 के दशक में सोवियत संघ नें एक अत्याधुनिक लड़ाकू विमान मिग-29 बनाया था. वो इस बात को इस हद तक गुप्त रख रहे थे कि उन्होंने उसके अस्तित्व तक को नकार दिया था.
रस्गोत्रा उस बैठक में मौजूद थे जिसमें ये तय किया गया कि रूस भारत को मिग- 29 विमान देगा.
रस्गोत्रा बताते हैं, 'रूस के नेता ब्रेझनेव और इंदिरा गाँधी की मास्को में बैठक हो रही थी. इंदिरा गाँधी मुझसे कहती रहती थीं कि देखना इस मामले में कुछ हो सकता है या नहीं. इस तरह की मीटिंग में कभी कभी ऐसा समय आ जाता है कि कुछ बातचीत नहीं होती और एक तरह की चुप्पी छा जाती है. मैंने इसका फ़ायदा उठाया. उनका रक्षा मंत्री उस्तीनोव मेरे सामने वाली कुर्सी पर बैठा हुआ था. मैंने उससे कहा कि आपके पास एक जहाज़ है, जिसका विवरण मैंने कहीं पढ़ा है. हम चाहते हैं कि आप वो जहाज़ हमें बेचें.'
'ब्रेझनेव ये सुन रहे थे. उन्होंने उस्तीनोव से चिल्ला कर पूछा कि ये क्या कह रहे हैं? उस्तीनोव ने उन्हें फिर सारी बात बताई. ब्रेझनेव ने फिर पूछा हमारे पास वो जहाज़ है या नहीं? उस्तीनोव ने कहा है तो सही. पहले तो वो सिरे से मना कर रहे थे कि उनके पास ये विमान है. फिर उन्होंने कहा कि उनकी संख्या काफ़ी नहीं है और फिर उनके ट्रायल भी चल रहे हैं.'
'ब्रेझनेव ने कहा 'कुछ नहीं उनकी जितने विमान चाहिए, उन्हें उपलब्ध कराओ.' मैंने अपने करियर से निष्कर्ष निकाला है कि अगर किसी से आप की राय मल नहीं रही है या आपको किसी से कुछ लेना है तो टकराव की जगह प्यार मोहब्बात से बात करिए. अगर हास्य की ज़रूरत हो तो उस इस्तेमाल कीजिए. कूटनीति में हास्य की भी बहुत बड़ी भूमिका होती है.'

Monday, June 10, 2019

مظاهرات السودان: الاتحاد الإفريقي يعلق عضوية الخرطوم إلى أن تتولى البلاد سلطة مدنية

علق الاتحاد الإفريقي عضوية السودان فورا وحتى تتولى إدارة البلاد سلطة مدنية انتقالية.
وقال بيان صادر عن قسم الأمن والسلام في الاتحاد إن هذه هي الطريقة الوحيدة للخروج من الأزمة.
وجاء قرار الاتحاد عقب قتل قوات الأمن السودانية محتجين في العاصمة الخرطوم بإطلاق النار عليهم.
وقالت وزارة الصحة السودانية إن 61 شخصا لقوا حتفهم في العنف، من بينهم ثلاثة من قوات الأمن، طعنوا حتى الموت، بحسب ما قالته الوزارة.
لكن لجنة الأطباء المركزية، المرتبطة بحركة احتجاج المعارضة تقول إن أكثر من 100 مدني قتل، بعد إطلاق قوات الأمن النار عليهم.
وقالت إنه عثر على 40 جثة في مياه نهر النيل في الخرطوم الثلاثاء، إلا أن السلطات السودانية تنفي ذلك.
ويقول مراسل لبي بي سي في العاصمة الخرطوم، إن المليشيات الموالية للحكومة، والتي تتهم بمهاجمة المدنيين، تشاهد في كل مكان.
كما يخشى بعض الأطباء والممرضين من التنقل والسفر إلى المستشفيات لعلاج المصابين.
المليشيات في كل مكان
وذكرت تقارير عديدة من الخرطوم أن قوات الدعم السريع تتجول في شوارع المدينة شبه المهجورة وتستهدف المدنيين.
وكانت هذه القوات تعرف سابقاً باسم ميليشيا "الجنجويد"، واتُهمت بارتكاب أعمال وحشية في دارفور عام 2003.
وكانت المحادثات بين المعارضة والمجلس العسكري الانتقالي الحاكم قد انفضت أوائل هذا الأسبوع، بعد الخلاف على خطة تقضي بتسليم إدارة البلاد إلى حكومة مدنية.
ماذا قال المجلس العسكري دفاعا عن فض الاعتصام؟
دافع نائب رئيس المجلس العسكري في السودان، محمد حمدان دقلو، عن عملية فض الاعتصام أمام مقر قيادة الجيش في الخرطوم، قائلا إن "المعتصمين اخترقتهم عناصر مارقة وتجار مخدرات".
وأضاف دقلو، الشهير باسم "حميدتي": "لن نسمح بالفوضى ولن نرجع في قناعتنا، ويجب فرض هيبة الدولة بالقانون".
ورفض قادة الحركة الاحتجاجية في السودان عرض المجلس العسكري الانتقالي استئناف التفاوض، قائلين إنه لا يمكن الثقة به بعد العنف الذي استخدم ضد المعتصمين.
وأكد سكان المدينة لبي بي سي أنهم يعيشون في خوف ورعب.
ما الأسباب وراء أحداث العنف الأخيرة؟
يخضع السودان لسيطرة المجلس العسكري منذ الإطاحة بالرئيس عمر البشير في أبريل/نيسان، بعد حكم استمر حوالي 30 عاما.
وكان المعتصمون خارج مقر الجيش في وسط الخرطوم، بينما تفاوض ممثلوهم مع المجلس العسكري واتفقوا على فترة انتقالية مدتها ثلاث سنوات تتوج بالانتخابات.
لكن يوم الاثنين، اجتاحت قوات الأمن وفتحت النار على المعتصمين العزل في الساحة.
وأعلن عبد الفتاح البرهان، رئيس المجلس العسكري، أن الاتفاق مع ممثلي المعارضة قد ألغي وأن الانتخابات ستتم في غضون تسعة أشهر.
وبعد أن دعت السعودية علناً إلى استئناف المحادثات، تراجع البرهان عن قراره قال إنه لا يزال مستعدا لتسليم السلطة لحكومة منتخبة، مضيفا "نحن في المجلس العسكري نفتح أيادينا لتفاوض لا قيد فيه إلا مصلحة الوطن".
ورفضت المعارضة الإعلان الذي أصدره المجلس العسكري.
وقال أمجد فريد، المتحدث باسم تجمّع المهنيّين الذي قاد الاحتجاجات، إنّ "الشعب السوداني ليس منفتحاً على الحوار، وليس منفتحاً على هذا المجلس العسكري الانتقالي الذي يقتل الناس، ونحن بحاجة إلى العدالة والمحاسبة قبل التحدث عن أي عملية سياسية"
أعلنت وزارة الداخلية المصرية مقتل 14 عنصرا مسلحا في مدينة العريش بسيناء، وذلك لدى تعقب منفذي هجوم دام استهدف حاجزا أمنيا بالمدينة.
وكانت السلطات قد أعلنت مقتل ثمانية من أفراد الشرطة، بالإضافة إلى خمسة مسلحين إثر الهجوم الذي وقع صباح الأربعاء.
وأعلن تنظيم الدولة الإسلامية، المعروف باسم "داعش"، مسؤوليته عن الهجوم.
وتدخلت قوات الجيش والتدخل السريع لتعقب المهاجمين وحلق الطيران الحربي في المنطقة.
وأكدت وزارة الداخلية أن الملاحقة المستمرة للمسلحين أدت إلى مقتل 14 منهم مساء الأربعاء. كما عُثر بحوزتهم على أسلحة وعبوات متفجرة وأحزمة ناسفة، بحسب بيان صادر عن الوزارة.
وقالت الوزارة في البيان: "في إطار ملاحقة العناصر الإرهابية المتورطة في مهاجمة أحد الأكمنة الأمنية فجر الأربعاء 5 يونيو 2019، فقد أسفر تتبع مسار هروب العناصر المنفذة للحادث عن تحديد مجموعة من العناصر الإرهابية".
وأضاف البيان أنه "أثناء محاصرتهم قاموا بإطلاق النار بكثافة تجاه القوات، فتم التعامل معهم ما أسفر عن مصرع 14 من العناصر الإرهابية، وعثر بحوزتهم على 14 بندقية آلية، وثلاث عبوات متفجرة، وحزامين ناسفين".
وجاء الهجوم صباح الأربعاء بينما كان المصلون يؤدون صلاة العيد في مدينة العريش، مع نهاية شهر رمضان، وبدء إجازة عيد الفطر في مصر.
ولا تزال القوات المصرية تقاتل المتشددين الإسلاميين الذين يشنون هجمات على قوات الأمن ومدنيين في شمال سيناء.